रसोई में चाय बनाते समय, अनिता के सीने में अचानक तेज़ दर्द उठा। उसने एक हाथ से किचन स्लैब को कसकर पकड़ा और दूसरे हाथ से सीने को थाम लिया। सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। उसने अपने पति, रोहित, को पुकारने की कोशिश की, जो अभी-अभी ऑफिस से लौटे थे, लेकिन आवाज़ नहीं निकल पाई। वह किसी तरह खुद को संभाले खड़ी रही।
दूसरी ओर, ड्राइंग रूम में बैठे रोहित अपनी टाई उतारते हुए खीझ रहे थे। सुबह अनिता से हुई बहस के कारण उनका मूड खराब था, और ऑफिस में भी बॉस की डांट सुननी पड़ी थी। झगड़ा भी सिर्फ इस बात पर हुआ था कि अनिता ने मायके जाने की इच्छा जताई थी, जिसे रोहित ने यह कहकर मना कर दिया था कि उसके जाने पर घर और माँ का ध्यान कौन रखेगा।
अनिता बस आँसू बहाती रही और सिसकती रही।
रोहित चिल्लाए, “चाय बनाने में कितनी देर लगती है?”
माँ, सविता, ने बेटे को पानी का गिलास थमाते हुए कहा, “चिल्ला क्यों रहे हो, बहू बना तो रही है। हो सकता है तेरे लिए कुछ नाश्ता बना रही हो। सुबह ना कुछ खा कर गया और ना ही लंच ले गया। तेरा लंच लेकर गेट तक गई थी, पर तू तो ना जाने किस बात पर इतना गुस्सा हो जाता है। ले ठंडा पानी पी और गुस्सा शांत कर।”
रोहित ने नाराज़गी से कहा, “माँ, देखिए ना, कितनी देर हो गई मुझे ऑफिस से आए हुए और अनिता ने अभी तक चाय नहीं दी और ना ही पानी तक के लिए पूछा। पता नहीं सारा दिन घर में करती ही क्या है। थका हुआ घर आऊं और चाय पानी के लिए भी तरसना पड़ता है। बेकार तुमने मेरी शादी करवाई, इससे अच्छा तो पहले ही सही था मेरी जिंदगी में सब कुछ। वैसे भी तुम तो हमेशा उसका ही पक्ष लेती हो और मेरी ही गलती ढूंढ़ती हो।”
सविता को बेटे की बातें बिल्कुल पसंद नहीं आईं। उन्होंने सोचा, “ऐसे संस्कार तो नहीं दिए थे बेटे को। फिर अपनी पत्नी के प्रति ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है मेरा बेटा। हो ना हो, कुछ कमी तो मुझमें ही रह गई बेटे की परवरिश में।”
रसोई में अनिता को जमीन पर गिरे देख, सविता दौड़कर उसके पास आईं और उसके हाथों को सहलाने लगीं। चेहरे पर पानी के छींटे मारे और माथा सहलाया। “अनिता बच्ची, उठ… क्या हुआ… क्या हुआ मेरी बच्ची… उठ जा बच्ची…” सविता की आंखों से आंसू गिरकर अनिता के चेहरे को भिगो रहे थे, पर वह तो अपनी सास की गोद में आराम से सो रही थी।
सविता ने बेटे को पुकारा, “रोहित… जल्दी आ… बेटा, अनिता को कुछ हो गया है…”
रोहित झल्लाते हुए सोफे से उठे और माँ की पुकार सुनकर रसोई में पहुंचे। “माँ, क्या हुआ इसे? कोई नया ड्रामा कर रही है। आप चलो यहां से। नहीं पीनी मुझे कोई चाय। आप छोड़ दो इसे यहीं पर। घर में बिस्तर की कमी पड़ रही है इसे जो यहां किचन में आकर सो रही है।”
सविता ने डांटते हुए कहा, “चुप कर… पहले डॉक्टर को फोन लगा। मुझे लगता है या तो इसका बीपी लो हो गया है या हार्ट अटैक आया है। गरमी भी तो कितनी बढ़ गई है, शायद गर्मी से ही चक्कर आ गया हो।”
रोहित ने अनमने ढंग से कहा, “कुछ भी नहीं हुआ है माँ इसे… बस काम ना करने के नए बहाने खोज रही है और सोच रही होगी ऐसा कोई ड्रामा करे जिससे इसे तुरंत मायके छोड़ आऊं।”
सविता ने समझाया, “तेरा बहू से सुबह इसी बात पर झगड़ा हुआ है ना… उसी कारण इसने सुबह से कुछ खाया भी नहीं। समय बर्बाद मत कर। जल्दी से गाड़ी निकाल और हॉस्पिटल ले चल।”
डॉक्टर ने बताया कि अनिता गर्भवती हैं, और कई बार महिलाओं को गर्भधारण के बाद इस तरह की समस्या आ जाती है।
यह खबर सुनकर रोहित की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वहीं सविता भी घर में फिर से किलकारी गूंजने की सोचकर रोमांचित हो रही थीं।
होश में आने पर, अनिता ने अपनी सास को अपने माथे पर हाथ फेरते देखा, तो उसके मन में आया कि वह बहुत भाग्यशाली है जो उसे सविता जैसी सास मिली।
सविता ने अनिता की माँ को फोन पर यह खुशखबरी देते हुए कहा, “समधन जी, आप लंबा प्रोग्राम बना कर आईएगा। यहां अनिता जब तक आपके साथ रहना चाहे, आप यहीं रहिएगा हमारे घर। जानती हूं इन दिनों वो अपने मन की बात मुझसे ज्यादा आपसे खुलकर बता पाएगी। उसे क्या खाने का मन है या क्या करने का मन है।”
अनिता की माँ अपनी बेटी के ससुराल में आ तो गईं, पर लोक-समाज का डर उन्हें सताता रहा कि लोग क्या कहेंगे कि बेटी के ससुराल में डेरा जमा लिया।
सविता ने समझाया, “हम लोगों की बातों पर जीना तो नहीं छोड़ सकते, वो तो कुछ न कुछ कहेंगे ही, उनका तो काम ही कहना है, पर हमें अपने बच्चों के बारे में सोचना चाहिए बस। अभी आपकी बेटी को आपकी ज़रूरत है।”
अनिता अपनी सास और माँ के बीच में आकर बैठ गई और कहने लगी, “मुझे आप दोनों की जरूरत है। भले एक माँ ने जन्म दिया है, पर अब मेरी शादी के बाद मेरी दो-दो माँ हैं
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