किसी भी इंसान की जिंदगी में वो ठहराव कब आता है जब वो किसकी बदतमीजी उसका स्वभाव समझकर बर्दाश्त कर लेता है?
किसी भी इंसान की जिंदगी में वो ठहराव कब आता है जब वो किसकी बदतमीजी उसका स्वभाव समझकर बर्दाश्त कर लेता है?
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